स्वामी दयानंद ने अज्ञान के खिलाफ युद्ध शुरू किया था जिसे आर्यों आज भी जारी रखना होगा-डा आनंद कुमार ( Swami Dayanand had started a war against ignorance which the Aryans will have to continue even today - Dr Anand Kumar)
3/08/2025
3 minute read
0
गाजियाबाद,शनिवार,8-03-2025 को वेद प्रचार परिषद के तत्वावधान में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस एवं स्वामी दयानंद की 201 वीं जयंती पर बहुकुण्डीय महायज्ञ सैक्टर-2बी,वसुंधरा में डा आर के आर्य (निदेशक स्वदेशी आयर्वेद,हरिद्वार) की अध्यक्षता में सौल्लास सम्पन्न हुआ।
आर्य जगत के भजनोपदेशक प्रदीप आर्य, देवेन्द्र गुप्ता कौशल किशोर पाण्डेय,ममता चौहान एवं मृदुल अग्रवाल ने भजनों द्वारा ऋषि महिमा एवं ईश भक्ति का गुणगान किया जिसे सुनकर श्रोता झूम उठे।
महायज्ञ आचार्य महेन्द्र भाई के ब्रह्मत्व में संपन्न हुआ।उन्होंने यज्ञ महिमा एवं वेद महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि पंच महायज्ञ एवं वेद मार्ग पर चलने से ही मानव कल्याण सम्भव है।उन्होंने आगे कहा कि स्वामी दयानंद के जीवन पर चर्चा करना सामान्य कार्य नहीं है 22 वर्ष की आयु में घर छोड़कर सच्चे शिव की तलाश में निकल कर मथुरा स्थित गुरु विरजानंद जी की कुटिया में पहुंचे,दरवाजा खटखटाया अंदर से आवाज आई कौन? दयानंद बोले यही जानने के लिए आया हूं?कि मैं कौन हूं? उस दिन गुरु विरजानंद की कुटिया का द्वार नहीं खुला था अपितु भारत की किस्मत का दरवाजा खुला था,उन्होंने गुरु जी से 3 वर्ष की अवधि में जो सत्य ज्ञान प्राप्त किया और 20 वर्ष तक सत्य का प्रचार करते हुए कहा कि शमा की भांति जल रहा हूं,बुझ तो जाऊंगा लेकिन रोशनी कर जाऊंगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारी डॉ सुधा राणा (अध्यक्ष वैदिक योग समिति) ने श्रोताओं को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई देते हुए ध्यान कराया और कहा कि स्वामी दयानंद ने जो महिलाओं के लिए कार्य किया है उसे भुलाया नहीं जा सकता।उन्होंने योग की विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि पतंजलि के अष्टांग योग को अपनाने से ही परमात्मा का साक्षात्कार सम्भव हैं।आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है।सत्य का ज्ञान होना समाधि है।प्रकृति के पंचतत्वों से बने शरीर में अग्नि से तेज,वायु से वेग,आकाश से विराटता,पृथ्वी से धैर्य और जल से शीतलता के संतुलन को बनाए रखना है।पंचतत्वों का संतुलन होने से आत्मोन्नति होती है।
विशेष आमंत्रित डा आनंद कुमार (अध्यक्ष राष्ट्र निर्माण पार्टी) ने अपने उद्बोधन में कहा कि महर्षि दयानंद ने मानव जीवन से संबंधित जितने भी विषय हैं उन पर सत्यार्थ प्रकाश में विस्तृत चर्चा की है। उन्होंने आगे कहा कि हमने इतिहास में विभिन्न युद्ध पढ़े हैं लेकिन स्वामी दयानंद ने पहली बार अज्ञान के खिलाफ अंतहीन युद्ध शुरू किया था,उन्होंने कहा इंसान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञान है,अविद्या है,इसलिए अविद्या का नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए।स्वामी दयानंद चाहते थे दुनियां में वेद का पठन-पाठन हो,शास्त्र के बिना तर्क खोखला होता है,सत्य की कोई मेरिट नहीं होती इसलिए आपने सूर्य बनना है तभी अंधेरा मिटेगा।उस कुशल वैघ ने भारत की बीमारी को पहचाना और उसका इलाज किया शास्त्र,तर्क विज्ञान और फिर सत्य को खोजा।वे धरती पर सत्य का प्रचार चाहते थे और इसके लिए उन्होंने गुरु मंत्र दिया है सत्य के ग्रहण और असत्य के छोड़ने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए।
मुख्य अतिथि समाज सेवी विनोद त्यागी ने कहा कि हमने जीवन में एक बात सीखी है जो अच्छी बात सुनते हैं उसे अपनाएं,करनी कथनी में अंतर ना रखें,परमात्मा में विश्वास रखें,महर्षि दयानंद के कार्यों को याद रखें,उस पर चलने का प्रयास करें।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ आर के आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद के मंतव्यों के अनुरूप हम चलेंगे तो विश्व में शांति स्थापित हो सकेगी उन्होंने तीन बिंदुओं संस्कार,संगति और व्यवहार पर विस्तृत चर्चा की।
मंच का कुशल एवं केंद्रीय आर्य युवक परिषद जिला गाजियाबाद के प्रदेश अध्यक्ष यज्ञवीर चौहान ने किया।
वेद प्रचार परिषद की अध्यक्षा श्रीमती ममता चौहान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री प्रदीप आर्य,संजय गुप्ता,डा प्रमोद सक्सेना, शकुंतला आर्या, प्रीति चौहान,दिग्विजय सिंह,वेद प्रकाश आर्य,विनोद कुमार मांगलिक, सुरेश सैनी, कुसुम गोयल, विनीत आर्य, लक्ष्मण सिंह चौहान,सुमन चौहान, सविता सिंह और रागनी भगत आदि उपस्थित थे।
शांतिपाठ एवं ऋषिलंगर के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
Tags
अन्य ऐप में शेयर करें