हिंदी ने किसी अन्य भारतीय भाषा से न तो कभी प्रतिस्पर्धा की है और न ही करेगी (Hindi neither ever has competed and nor will compete with any other Indian language)
9/14/2023
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दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। अपने संदेश में गृह मंत्री ने कहा कि भारत विविध भाषाओं का देश रहा है. हिंदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भाषाओं की विविधता को एकजुट करती है। उन्होंने कहा कि हिंदी एक लोकतांत्रिक भाषा रही है. इसने विभिन्न भारतीय भाषाओं और बोलियों के साथ-साथ कई वैश्विक भाषाओं को भी सम्मान दिया है और उनकी शब्दावली, वाक्यों और व्याकरण नियमों को अपनाया है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के कठिन दिनों में हिंदी भाषा ने देश को एकजुट करने में अभूतपूर्व भूमिका निभाई। इसने कई भाषाओं और बोलियों में बंटे देश में एकता की भावना पैदा की। संपर्क भाषा के रूप में हिंदी ने देश में पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्री शाह ने कहा कि देश में 'स्वराज' और 'स्वभाषा' की प्राप्ति के लिए आंदोलन एक साथ चल रहे थे। स्वतंत्रता आंदोलन और आजादी के बाद हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए संविधान निर्माताओं ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था।
गृह मंत्री ने कहा कि किसी भी देश की मौलिक और रचनात्मक अभिव्यक्ति उसकी अपनी भाषा से ही संभव है। उन्होंने प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रसिद्ध कविता 'निज भाषा विकास अहै, सभी विकास को मूल' का उल्लेख करते हुए इस बात पर जोर दिया कि हमारी भाषा की प्रगति ही सर्वांगीण प्रगति का आधार है। श्री शाह ने कहा कि हमारी सभी भारतीय भाषाएँ और बोलियाँ हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं, जिन्हें हमें अपने साथ लेकर चलना है। उन्होंने कहा कि हिंदी ने न तो कभी किसी अन्य भारतीय भाषा से प्रतिस्पर्धा की है और न ही करेगी। हमारी सभी भाषाओं को मजबूत करने से ही एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण होगा। गृह मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि हिंदी सभी स्थानीय भाषाओं को सशक्त बनाने का माध्यम बनेगी।
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय भाषाओं को राष्ट्रीय और वैश्विक मंचों पर उचित पहचान और सम्मान मिला है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय का राजभाषा विभाग आधुनिक तकनीक का लाभ उठाकर भारतीय भाषाओं को समृद्ध कर उन्हें सार्वजनिक प्रशासन, शिक्षा और वैज्ञानिक उपयोग की भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सरकार और जनता के बीच भारतीय भाषाओं में संवाद स्थापित कर जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जा रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश में राजभाषा में होने वाले कार्यों की समय-समय पर समीक्षा के लिए संसदीय राजभाषा समिति का गठन किया गया था। इसे देशभर में सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग में हुई प्रगति की समीक्षा करने और इसकी रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रपति को पेश करने की जिम्मेदारी दी गई। श्री शाह ने कहा कि उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि इस रिपोर्ट का 12वां खंड राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया गया है। 2014 तक रिपोर्ट के केवल 9 खंड प्रस्तुत किए गए थे, लेकिन हमने पिछले 4 वर्षों में केवल 3 खंड प्रस्तुत किए हैं। 2019 से सभी 59 मंत्रालयों में हिंदी सलाहकार समितियों का गठन किया जा चुका है और उनकी बैठकें भी नियमित रूप से आयोजित की जा रही हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में राजभाषा के प्रयोग को बढ़ाने की दृष्टि से अब तक कुल 528 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों (टीओएलआईसी) का गठन किया जा चुका है। विदेशों में भी लंदन, सिंगापुर, फिजी, दुबई और पोर्ट-लुइस में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियाँ गठित की गई हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए भी पहल की है।v
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि राजभाषा विभाग द्वारा 'अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन' के आयोजन की एक नई परंपरा भी शुरू की गई है। पहला अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन 13-14 नवंबर, 2021 को बनारस में और दूसरा सम्मेलन 14 सितंबर, 2022 को सूरत में आयोजित किया गया था। इस वर्ष तीसरा अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन पुणे में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजभाषा विभाग ने राजभाषा को प्रौद्योगिकी के अनुरूप विकसित करने के लिए स्मृति आधारित अनुवाद प्रणाली 'कंठस्थ' बनाई है। राजभाषा विभाग ने एक नई पहल करते हुए 'हिन्दी शब्द सिन्धु' शब्दकोष भी बनाया है। संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं के शब्दों को शामिल करके इस शब्दकोष को लगातार समृद्ध किया जा रहा है। विभाग ने एक 'ई-महाशब्दकोश' मोबाइल ऐप भी बनाया है जिसमें कुल 90,000 शब्द और लगभग 9,000 वाक्यों का एक 'ई-सरल' शब्दकोश शामिल है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भाषा परिवर्तन का सिद्धांत कहता है कि "भाषा जटिलता से सरलता की ओर बढ़ती है।" अमित शाह ने कहा कि उनकी राय में कार्यालय कार्य में हिन्दी के सरल एवं स्पष्ट शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राजभाषा विभाग के इन प्रयासों से तथा सभी मातृभाषाओं को आत्मसात करते हुए हिन्दी जन-स्वीकार्यता के साथ वैज्ञानिक एवं तकनीकी स्वीकृति प्राप्त करेगी तथा एक समृद्ध राजभाषा के रूप में उभरेगी। एक बार फिर सभी को हिंदी दिवस की बधाई।
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