लोन नहीं भरने के मामले में हाईकोर्ट का अहम फैसला: लोन न चुका पाने वालों को मिली बड़ी राहत EMI बाउंस - अधिवक्ता आंचल चौहान(Important decision of the High Court in the case of non-payment of loan: Big relief to those who cannot repay the loan EMI bounce - Advocate Anchal Chauhan)
5/12/2025
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बैंक से लोन लेने के बाद उसे समय पर चुकता न कर पाने वाले लोगों के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण और राहत देने वाला फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लोन डिफॉल्ट के मामलों में लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी करने का अधिकार नहीं है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब आर्थिक परेशानियों के कारण लोग अपने लोन का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं और बैंक की कठोर कार्रवाई से चिंतित हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले से लोन न चुका पाने वालों को कानूनी सुरक्षा मिली है और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा की गई है।
बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय
बॉम्बे हाईकोर्ट की डिविजनल बेंच ने इस महत्वपूर्ण मामले में स्पष्ट किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लोन न चुकाने वालों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने का कानूनी अधिकार नहीं है। अदालत ने केंद्र सरकार के उस ज्ञापन की धारा को भी अवैध ठहराया, जिसमें बैंकों को ऐसे अधिकार दिए गए थे। इस फैसले से लोन न चुका पाने वाले लोगों को विदेश यात्रा करने के अधिकार की सुरक्षा मिली है, जो अब तक लुकआउट सर्कुलर के जरिए प्रतिबंधित किया जा सकता था।
मौलिक अधिकारों का संरक्षण
हाईकोर्ट ने कहा कि लोन डिफॉल्ट के मामले में बैंक द्वारा लुकआउट सर्कुलर जारी करना संविधान द्वारा दिए गए नागरिकों के यात्रा संबंधी अधिकारों का उल्लंघन है। नागरिकों के विदेश यात्रा करने के अधिकार को केवल उचित कानूनी प्रक्रिया के जरिए ही सीमित किया जा सकता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ लोन न चुका पाना इस प्रकार के प्रतिबंध के लिए पर्याप्त कारण नहीं हो सकता।
केंद्र सरकार के ज्ञापन पर टिप्पणी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के 2018 के कार्यालय ज्ञापन के संशोधन की आलोचना की, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लोन डिफॉल्ट के मामलों में लुकआउट सर्कुलर जारी करने का अधिकार दिया गया था। अदालत ने इसे अवैध ठहराया और कहा कि यह अधिकार केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास होना चाहिए।
बैंकों के लिए क्या मायने रखता है यह फैसला
अब बैंकों को लोन डिफॉल्ट के सामान्य मामलों में लुकआउट सर्कुलर जारी करने का अधिकार नहीं होगा। बैंक अब लोन वसूली के लिए अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार करेंगे, जैसे कि SARFAESI एक्ट और DRT। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि लोन डिफॉल्टरों की जिम्मेदारी समाप्त हो गई है। बैंकों को अब कानूनी तरीके से वसूली करनी होगी, लेकिन नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा।
लोन धारकों के लिए राहत
यह फैसला उन लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो विभिन्न कारणों से अपने लोन का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। अब उन्हें यह डर नहीं रहेगा कि सिर्फ लोन न चुकाने के कारण उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया जाएगा और वे विदेश यात्रा नहीं कर पाएंगे। यह फैसला यह भी दर्शाता है कि लोन न चुकाना अपराध नहीं है, बल्कि यह एक नागरिक देनदारी है, जिसे उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत हल किया जाना चाहिए।
लोन डिफॉल्ट से जुड़े अन्य कानूनी प्रावधान
हालांकि, लोन डिफॉल्ट करने वालों को पूरी तरह से छूट नहीं मिली है। बैंक अब भी अन्य कानूनी उपायों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे संपत्ति की कुर्की, विलफुल डिफॉल्टर घोषित करना, और सिविल मुकदमे दायर करना। धोखाधड़ी के मामलों में आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती है। इस फैसले का असर केवल लुकआउट सर्कुलर पर है, और लोन वसूली के अन्य उपायों को लागू किया जा सकता है।
निष्कर्ष
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह नागरिकों के अधिकारों और कानूनी प्रक्रियाओं के महत्व को रेखांकित करता है। यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो, भले ही वह लोन डिफॉल्ट कर रहा हो। हालांकि, इसका यह भी मतलब नहीं कि लोन चुकाने की जिम्मेदारी कम हो गई है; यह केवल यह सुनिश्चित करता है कि वसूली की प्रक्रिया में कानूनी अधिकारों का सम्मान किया जाए।
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