जाट, मुस्लिम और गुर्जर गठजोड़ की बेहतरीन मिशाल कायम करते हुए खतौली विधानसभा उपचुनाव में रालोद से चुनाव लड़े मदन भैया की जीत से बड़े दलों में भी राजनीतिक विश्लेषण शुरू हो गया था। रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने इन जातियों के समीकरण से उत्तर प्रदेश की राजनीति में ऐसा भूचाल ला दिया था कि सत्ताधारी पार्टी भी रालोद को अपने साथ जोड़ने की जुगत में जुट गईं थी। इसी के चलते भारत सरकार द्वारा स्व चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजने की घोषणा के बाद रालोद एनडीए गठबंधन की औपचारिक घोषणा होना भले ही शेष है लेकिन जयन्त चौधरी ने गठबंधन पर बयान देकर तस्वीर बिल्कुल साफ कर दी है।
एनडीए से गठबंधन के बाद रालोद को समझौते में क्या-क्या मिलेगा यह भले ही यह स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है लेकिन बागपत और बिजनौर सीट रालोद को मिलने की चर्चाएं जोरों पर हैं। इसी तरह सूत्रों के हवाले से मिली खबरों के अनुसार माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल में भी रालोद के दो विधायकों को जगह मिलने की बात चल रही है।
जिसमें एक को कैबिनेट मंत्री और एक को राज्य मंत्री के रूप में शामिल किए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। इन्हीं कयासों के आधार पर गुर्जर समाज को पांच बार के रालोद विधायक मदन भैया के रूप में अब उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल में गुर्जर समाज की नुमाइंदगी की उम्मीद जगी है। भले ही अभी कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन मदन भैया को मंत्री मंडल में शामिल किए जाने की खबरों से गुर्जर समाज ही नहीं अन्य जातियों में भी खुशी की लहर देखने को मिल रही है। अब देखना यह है कि राजनीतिक सूखा झेल रहे गुर्जर समाज के लिए रालोद का एनडीए के साथ गठबंधन कितना राहत भरा होगा ? हालांकि उम्मीद यही की जा रही है कि जयन्त चौधरी गुर्जर समाज को जोड़े रखने के लिए किसी गुर्जर विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल करने का निर्णय जरूर लेंगे। माना यह जा रहा है कि अगर मदन भैया को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाता है
तो इससे गुर्जर समाज का राजनीतिक सूखा तो दूर होगा ही साथ ही साथ जयंत चौधरी के इस निर्णय से गुर्जर समाज की रालोद के साथ नजदीकियां और लगाव और अधिक बढ़ेगा जो रालोद के लिए भी और एनडीए के लिए भी आगामी संसदीय चुनाव में काफी हद तक लाभप्रद सिद्ध होगा। क्योंकि मदन भैया की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुर्जर समाज में ही नहीं बल्कि अन्य जातियों में भी अच्छी खासी पैठ है। इसके अतिरिक्त 4 दशक से राजनीति में सक्रिय मदन भैया का दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में भी अच्छा खासा प्रभाव और राजनीतिक दबदबा है। संघर्षों की डगर पर चलकर राजनीति करने वाले मदन भैया की गिनती एक दबंग और कद्दावर नेता के रुप में होती है। अगर मदन भैया विधायक का कद और पद बढा तो इसका लाभ रालोद एनडीए गठबंधन को मिलना तय है।