अनूप शर्मा (लोनी)।गुर्जर और राजपूत समाज के बीच तल्खी के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने की पहल, दोनों समाज के प्रबुद्ध एवं बुद्दिजीवियों को लिखा खुला पत्र, कहा सामंजस्य स्थापित करने के लिए आये आगे, दोनों समाज को बताया क्षत्रिय वंश की शाखा, कहा एक पिता की 2 संतानें है दोनों समाज, जातीय बन्धनों से ऊपर है महापुरुषों की विरासतें, 36 बिरादरी का है महापुरुषों पर समान हक, कड़वाहट के पीछे भारत को तोड़ने की साजिश रचने वालों का बताया हाथ
पत्र में कहा राजपूत और गुर्जर समाज को आगे आकर मुगलकालीन युग में धर्मपरिवर्तन कर मुस्लिम बने लोगों के घर वापसी का संयुक्त रुप से चलाएं अभियान
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सहारनपुर में गौरव यात्रा और दादरी मूर्ति प्रकरण के बाद पश्चिम यूपी में राजपूत और गुर्जर समाज के बीच आपसी कड़वाहट को कम करने की पहल लोनी से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने गुर्जर समाज एवं राजपूत समाज के प्रबुद्ध एवं बुद्धिजीवी लोगों को पत्र लिखकर की है। विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने दोनों समाज को क्षत्रिय वंश के शाखा और एक पिता की दो सन्तानें बताते हुए कहा जिस तरह से भगवानों को जाति में नहीं बांध सकते ठीक उसी प्रकार से सभी समाज के महापुरुष जो देव अंश होते है, को जातीय बन्धन में बांधना उनके कद को छोटा करने के सामान है। इस दौरान विधायक ने पत्र में मुगल शासन में अत्याचारों के कारण मुस्लिम बनें दोनों समाज के लोगों के घर वापसी का बृहद तौर पर अभियान चलाने की भी बात की है। लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा जिन महापुरूषों ने भारत को अखण्ड बनाने के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष किया आज एकजुटता और सशक्त भारत के लिए हम सभजातियों को एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है यहीं सभी समाजों के महापुरुषों को श्रद्धांजलि होगी।
यहां पढ़ें लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर के द्वारा लिखा गया खुला पत्र:गुर्जर समाज एवं राजपूत समाज के प्रबुद्ध एवं बुद्धिजीवी लोगों को सर्वप्रथम प्रणाम,
अखंड भारत के निर्माता सम्राट मिहिर भोज को लेकर जो आज खंडित भारत का स्वप्न देखने वाले लोगों के द्वारा दोनों समाज के लोगों के बीच विभिन्न माध्यमों के द्वारा कटुता एवं आपसी सौहार्द को खराब करने का जो माहौल बनाया जा रहा है, इसे पुनः प्रेम और आपसी भाईचारे में कायम करने के लिए समाज के प्रबुद्ध एवं बुद्धिजीवियों का साथ चाहता हूं, उनसे आगे आने की अपील करता हूं। सम्राट मिहिर भोज ने पूरे जीवन सनातन धर्म एवं जाति के लोगों को एकजुट करने व भारत की सीमा को बढ़ाते हुए अखंड भारत का निर्माण किया। अरब के प्रसिद्ध इतिहासकारों सुलेमान, अलबरूनी व अन्य कई इतिहासकारों ने इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु गुर्जर प्रतिहार वंश के सम्राट मिहिर भोज को बताया।
सम्राट मिहिर भोज के नाम पर गौरव यात्रा निकालना अच्छी बात है लेकिन इतिहास का एक विद्यार्थी होने के कारण गुर्जर एवं राजपुत समाज के कई बड़े इतिहासकारों से जानकारी ली, उनके अनुसार गुर्जर एवं राजपुत दोनों एक ही क्षत्रिय वंश की शाखाएं है और एक पिता की दो संताने है। पूरे देश में एक भी ऐसा उदाहरण नहीं है जिसमें गुर्जर-राजपुत समाज में तनाव रहा है बल्कि दोनों समाज एक-दूसरे को क्षत्रिय वंश का होने के कारण स्वंय को एक ही मानते है। हमारे गोत्र भी मिलते है जिसपर एक कहावत भी है कि ‘गोती सौ भाई, बाकि असनाई,’ हमारे दादरी क्षेत्र के कासना रियासत के राजा राव कासलदेव की 2 संतानों मे से एक भाटी राजपुत और एक भाटी गुर्जर है जिनके दादरी में सैकड़ों गांव है जहां लोग आपस में एक-दूसरे को भाई मानते है। ऐसे देश में सैकड़ों उदाहरण है। मेरा आप सभी से निवेदन है कि जब हम एक है तो एक-दूसरे का विरोध करने और अपशब्दों के स्थान पर समाज के प्रबुद्ध एवं बुद्धिजीवियों को समाज की नई पीढ़ी को बताना चाहिए कि हम एक है और एक ही पिता की दो संताने है। गौरव यात्रा एवं दादरी प्रकरण का एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि इस घटना से नई पीढ़ियों को संदेश गया है कि हम दोनों एक ही है।
जातीय बन्धनों से ऊँचा होता है भगवान और देव अंश रूपी महापुरूषों
विधायक ने पत्र में आगे लिखते हुए कहा सभी समाज के महापुरूषों जिन्होंने सनातन धर्म की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी, जिन्हें सभी हिंदू अपना मानते है क्या उन्हें एक जाति में सीमित कर, क्या उनके कद को छोटा नहीं किया जा रहा है? क्या भगवान कृष्ण, भगवान श्रीराम को जातियों में बांधा जा सकता है जबकि इन्होंने भी किसी न किसी वर्ण व जाति में जन्म लिया है? इसलिए हमें देवअंश रूपी सभी समाज के महापुरूषों को जातिगत बंधनों में नहीं बांधना चाहिए। सभी समाज अगर स्वंय को उनसे जोड़कर कोई यात्रा निकालना चाहते है तो हमें विरोध के स्थान पर उनका सहयोग और समर्थन करना चाहिए जिस तरह से कुर्मी समाज भी क्षत्रिय वंश का अंश है और लौहपुरूष सरदार पटेल को कुर्मी और गुर्जर दोनों अपना मानते है क्योंकि यह दोनों समाज एक है और हमारे पूर्वज भी एक ही है। सबसे बड़ा उदाहरण सेना में होने वाली भर्ती भी है जिसमें हम एक परिवार से होने के कारण गुर्जर समाज के युवाओं को भी राजपुत रेजिमेंट में ही शामिल किया जाता है। हमारे समाज के राजाओं के बीच वैवाहिक संबंध भी सिद्ध करते है कि हम आपस में एक है। इसके अतिरिक्त अन्य समाजों में भी जो क्षत्रिय वर्ग से गोत्र मिलते है चाहे वो दलित हो या कुछ और वे सभी एक है। हम सभी ऋषियों की संतान है, आर्य (श्रेष्ठ) है। गुर्जर समाज राष्ट्रवादी समाज रहा है। देश के लिए मरने और मिटने में अग्रणी रहा है। हमारे राजपूत एवं गुर्जर समाज के राजाअचों के कालखंड में मुगलों व इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा तलवारों के बल पर और कई तरह के वीभत्स अत्याचारों के कारण समाज के लोगों को धर्म परिवर्तन करना पड़ा, बहु-बेटियों को जोहर करना पड़ा, ऐसे लोगों को पुनः चिन्हित कर हम उनके घर वापसी के लिए मिलकर प्रयास करें तो सम्राट मिहिर भोज, वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप, गुरू गोविंद सिंह जी के सपनों को पूरा करके, उन्हें एक सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते है जिसके लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया।
समाज के प्रबुद्ध और बुद्धिजीवियों के सामने मेरी अल्पबुद्धि में यह विचार आया है कि हम सभी जब एक परिवार के सदस्य है एक पिता की संताने है तो हम सभी जातियों को जोड़कर, आपसी मतभेद को समाप्त कर, अखंड और सशक्त भारत के लिए कार्य करें, यह संदेश सभी नौजवानों तक पहुंचे।