प्रयागराज :माफिया का पाकिस्तान कनेक्शन सामने आया है. प्रयागराज पुलिस ने कोर्ट से यह कहकर रिमांड मांगी है कि माफिया अतीक अहमद पाकिस्तान से हथियार खरीदता था.पंजाब में पाकिस्तान बॉर्डर से ड्रोन के जरिए असलहे और कारतूस अतीक के पास भेजे जाते थे. इसके अलावा अतीक के पास असलहों और बमों का जखीरा भी है, प्रयागराज कौशांबी फतेहपुर और उन्नाव मैं यह असलहे और बम छिपाकर रखे गए हैं.प्रयागराज पुलिस ने दावा करते हुए कहा है कि आज और कल जेल में दिए गए बयान में अतीक व अशरफ ने पाकिस्तान कनेक्शन और असलहों के जखीरे की बात कबूली है.
पुलिस ने कहा कि ये हथियार पाकिस्तान से ड्रोन से पंजाब में गिराए जाते थे. रिमांड के दौरान अतीक पुलिस को वो हथियार बरामद करा सकता है।आज कोर्ट में रिमांड कॉपी पेश की गई जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। कॉपी के मुताबिक अतीक अहमद ने माना है कि उसके संबंध आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर से हैं। वह पाकिस्तान से हथियार मंगवाता था। पंजाब में ड्रोन के जरिए जो हथियार गिराए जाते हैं, मैं उनको खरीदता था। अतीक ने भी माना था कि उसके पास हथियारों की कोई कमी नहीं। उसने यह भी बताया कि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को भी हथियार ऐसे ही मिलते हैं। चार्जशीट में के मुताबिक अतीक ने यह भी माना कि अगर उसे उन ठिकानों पर ले जाया जाए तो वह पैसा, हथियार और कारतूसों को बरामद करा सकता है।चार्टशीट के मुताबिक अशरफ अहमद ने कहा है कि हथियार और कारतूस जिस जगह पर रखे हैं, इस पता वह जेल में बैठकर नहीं बता पाएगा। कुछ ठिकानों के बारे में मुझे पता है और कुछ के बारे में भाई अतीक को जानकारी है। ये ठिकाने खेतों में बने फार्म हाउस के तरह हैं। वहां जाकर ही बताया जा सकता है कि हथियार कहां है।
अतीक अहमद नही होगा अपने बेटे के जनाजे में शामिल। कानूनी पेंच के चलते नही मिली मंजूरी।
*असद की डेड बॉडी को किसी करीबी को सौंपा जाएगा ।*
*उमेश पाल हत्याकांड के पहले असद पर कोई केस दर्ज नहीं था।*
असद अपने क्लास का टापर स्टूडेंट था।
असद इस वर्ष 12वीं का परीक्षा दिया था। अभी रिजल्ट भी नहीं आया था।
असद आगे पढ़ लिखकर वकील बनना चाहता था।
47 दिन पहले असद का नहीं था कोई आपराधिक रिकॉर्ड, उमेश पाल हत्याकांड के बाद बना यूपी का मोस्ट वांटेड
अपने पिता माफिया अतीक अहमद के विपरीत तीसरे सबसे बड़े बेटे 19 वर्षीय असद अहमद का आपराधिक जीवन केवल 47 दिनों तक ही चला। असद का 24 फरवरी से पहले कोई आपराधिक रिकॉर्ड ही नहीं था। प्रयागराज में अपने आवास के बाहर वकील उमेश पाल और उनके दो पुलिस गार्डों की हत्या करने वाले हमलावरों में असद का नाम सामने आया था। इसके बाद से ही असद फरार चल रहा था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि असद के बड़े भाई अली पर चार मामले हैं जबकि सबसे बड़े भाई उमर के खिलाफ एक मामला दर्ज हैं।
उन्होंने कहा कि उनके पिता अतीक के खिलाफ 102 आपराधिक मामले दर्ज हैं और चाचा खालिद अजीम उर्फ अशरफ के खिलाफ 50 प्राथमिकी दर्ज हैं। अधिकारी ने कहा कि अतीक अहमद का 1979 से 44 साल का लंबा आपराधिक इतिहास है, जब वह पहली बार एक हत्या के मामले में आरोपी बनाया गया था। प्रयागराज की एमपी/एमएलए कोर्ट ने 28 मार्च को उमेश पाल अपहरण मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यह अतीक की पहली सजा थी। उन्होंने बताया असद अहमद की आयु आधार कार्ड पर उसकी जन्म तिथि के अनुसार 19 वर्ष और सात महीने थी और सभी भाइयों में आलसी माना जाता था, लेकिन उमेश पाल की हत्या में उसकी संलिप्तता सामने आने के तुरंत बाद वह यूपी का मोस्ट वांटेड बन गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उस पर और हत्या में शामिल अन्य हमलावरों पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
*अतीक के परिवार में असद पर था सबसे ज्यादा इनाम*
पुलिस अधिकारी ने बताया कि अतीक अहमद के फरार सदस्यों में से असद के ऊपर से सबसे ज्यादा इनाम रखा गया था। उन्होंने यह भी कहा कि दो साल पहले गिरफ्तार होने से पहले अशरफ पर एक लाख रुपये का इनाम था, जबकि अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन पर उसकी गिरफ्तारी पर 50,000 रुपये का इनाम था। उन्होंने बताया कि बसपा के शासन के दौरान अतीक अहमद पर 20,000 रुपये का इनाम घोषित किया गया था। उन्होंने बताया कि असद ने पिछले साल लखनऊ के एक प्रतिष्ठित स्कूल से इंटरमीडिएट (12वीं) की परीक्षा पास की थी। उन्होंने कहा कि अतीक के जानकर बताते हैं कि असद उच्च शिक्षा के लिए देश से बाहर जाना चाहता था लेकिन उनके परिवार की आपराधिक पृष्ठभूमि के कारण उनका पासपोर्ट सत्यापन खारिज कर दिया गया था। उन्होंने आगे बताया कि तभी से असद एलएलबी कोर्स में दाखिला लेने की तैयारी कर रहा था। असद ज्यादातर लखनऊ में रहता था, उमर और अली अतीक के कारोबार की देखभाल करते थे।
अतीक को छुड़ाने की साजिश रच रहा था असद, इंटेलिजेंस ने की प्लानिंग फेल, एसटीएफ ने खत्म किया खेल
झांसी में अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। उमेश पाल हत्याकांड में साबरमती जेल से प्रयागराज भेजे जा रहे माफिया अतीक अहमद के काफिले पर हमला कर उसे छुड़ाने की साजिश रची गई थी। इंटेलिजेंस को इसकी खबर मिल गई थी। इससे अतीक के काफिले की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। इसी बीच एसटीएफ को सूचना मिली की साबरतमी से प्रयागराज के रास्ते झांसी में हमला हो सकता है।
इंटेलिजेंसी की सूचना के बाद एसटीएफ के तेजतर्रार अफसरों की टीम ने झांसी में मोर्चा संभाला। बदमाशों की घेरेबंदी की तो दोनों ओर से गोलियां चलीं। इसमें दो बदमाश घायल हो गए और बाद में मारे गए। दोनों की पहचान अतीक के बेटे असद और शूटर गुलाम के रूप में हुई। असद के ढेर होने से कंफर्म हो गया कि इंटेलिजेंस को मिली सूचना पुख्ता थी। अगर पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था नहीं बढ़ाई होती तो कुछ भी बड़ा हो सकता था।
इस बात का खुलासा यूपी के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने भी गुरुवार को हुई प्रेस कांफ्रेंस में किया। एडीजी ने कहा कि इस गैंग के हमलों को लोगों ने पिछले दिनों उमेश हत्याकांड में प्रयागराज में देखा था। इसी को ध्यान में रखते हुए साबरमती से अतीक को लाने के दौरान विशेष टीमें और अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
अतीक को झांसी के रास्ते प्रयागराज लाना था और वहीं से वापस साबरमती लेकर जाना था। इसलिए हमलावरों ने झांसी में ठिकाना बनाया था। इंटेलिजेंस से हमले की सूचना मिलने पर एसटीएफ की टीमों ने झांसी में घेरेबंदी की तो गोलीबारी शुरू हो गई। जवाबी गोलीबारी में ही अतीक का बेटा असद और गुलाम मारे गए हैं।
*झांसी ही क्यों*
यूपी और एमपी बार्डर पर झांसी होने के कारण बदमाश आसानी से अपराध करके एक राज्य से दूसरे राज्य में फरार हो जाते हैं। यहां पर कार्यवाही करने के लिए एक राज्य की पुलिस को दूसरे राज्य में घुसने से पहले बकायदा इजाजत लेनी पड़ती है। इसमें काफी समय लग जाता है। इससे अपराधियों को काफी सहूलियत होती है।
अपराधी आसानी से एक राज्य में अपराध करते हैं और थोड़ी दूरी पर स्थित राज्य की सीमा पार कर दूसरे राज्य में छिप जाते हैं। पुलिस नाकेबंदी भी करना चाहती है तो केवल अपने राज्य में ही कर पाती है। दूसरे राज्य में अपराधियों को खुला रास्ता मिल जाता है।
पांच मिनट के लिए बेटे से मिलवा दो,पता नहीं फिर देख पाऊं या नहीं; अतीक की गुजारिश
नैनी जेल से कोर्ट में पेशी के लिए जाते समय माफिया अतीक अहमद के चेहरे पर डर साफ नजर आया। उसे पता था कि कोर्ट से उसे रिमांड पर दिया जा सकता है। रिमांड के दौरान कुछ भी हो सकता है। उसने कोर्ट जाने से पहले नैनी जेल में बंद अपने दूसरे बेटे अली से मिलने की गुजारिश की। उसने कहा कि पांच मिनट के लिए ही एक बार अली से मिलवा दो। पता नहीं फिर देख पाउं या नहीं। हालांकि अधिकारियों ने इजाजत नहीं होने की बात कहते हुए उसकी गुजारिश नहीं मानी।
अतीक को बुधवार को साबरमती जेल से प्रयागराज के नैनी जेल में लाया गया था। इसी नैनी जेल में अतीक का बेटा अली भी बंद है। इसीलिए अतीक ने जेल प्रशासन से अपने बेटे अली से मिलने की गुजारिश की। जेल प्रशासन से कहा है कि वो 5 मिनट के लिए अपने बेटे से मिलना चाहता है। हालांकि मिलवाने की इजाजत नहीं होने का हवाला देकर अतीक की इच्छा पूरी नहीं कराई जा सकी।
अतीक यूपी आने के बाद किस कदर डरा हुआ है इसका उदाहरण साबरमती जेल से आने के दौरान ही चल गया था। उसने मीडिया के सामने साफ कहा कि उसकी माफियागिरी तो बहुत पहले खत्म हो गई है। अब उसे रगड़ा जा रहा है। उसका यह डर नैनी जेल आने के बाद भी दिखाई दिया। यही कारण है कि उसने बेटे से मिलने की गुजारिश की। अतीक के चेहरे पर इस दौरान एसटीएफ और पुलिस का डर साफ झलक रहा था। उसे अपने पुलिस रिमांड पर देने की आशंका सता रही थी। उसे डर लग रहा था कि पुलिस की रिमांड के दौरान उसके साथ कुछ भी हो सकता है। बताया जा रहा है कि नैनी जेल से कोर्ट लाने के दौरान उसका बीपी का हाई था। डॉक्टरों ने अतीक को बीपी की दवाई भी दी है।
*बेटे के ढेर होने की खबर पर फूट-फूटकर रोया*
बेटे असद के एनकाउंटर में ढेर होने के बाद माफिया अतीक अहमद बुरी तरह से टूट चुका है। बेटे के मारे जाने की खबर उसे तब लगी जब उमेश पाल हत्याकांड में उसकी प्रयागराज की कोर्ट में पेशी हो रही थी। बेटे की मौत के बाद भाई अरशद के साथ कोर्ट रूम में बैठे अतीक के चेहरे पर डर साफ नजर आया। उसकी आंखों से आंसू भी छलकते देखा गया। सिर से गमछा उतारकर उसने अपने चेहरे को कुछ देर के लिए ढंग लिया। इस दौरान वह फूट-फूटकर रोया भी।
अतीक के दो अन्य नाबालिग बेटे भी उमेश पाल हत्याकांड वाले दिन से गायब हैं। पुलिस ने दोनों के बाल गृह में होने का दावा किया है। हालांकि उसके वकीलों या परिवार के किसी सदस्य की दोनों बेटों से मुलाकात अभी तक नहीं हो सकी है।
अतीक का डर उस समय और बढ़ गया जब उसे पुलिस रिमांड पर देने का आदेश हो गया। एक तरफ बेटे असद के एनकाउंटर में मारे जाने का गम तो दूसरी तरफ चार दिन के रिमांड ने अतीक की हालत खराब कर दी है। जिस माफिया के नाम से ही प्रयागराज में बड़े से बड़े लोग भी थर-थर कांपते थे, वह माफिया अब रिमांड के नाम से कांप रहा था। कई दशक के आपराधिक इतिहास में पहली बार उसे पुलिस की रिमांड पर दिया जा गया है।
रिमांड के दौरान भले ही वकीलों को उसके साथ रहने की इजाजत मिली है लेकिन उसका डर बरकरार है। साबरमती जेल से आते समय उसने मीडिया का शुक्रिया भी अदा किया था। उसका कहना था कि मीडिया के साथ होने के कारण फिलहाल उसे किसी तरह का डर नहीं है। लेकिन रिमांड के दौरान मीडिया साथ नहीं रहेगी। ऐसे में उसका डर बढ़ता ही जा रहा है।
कौन लेगा असद का शव, अतीक का पूरा परिवार जेल में या फरार; पिता, भाई, चाचा को जनाजे में जाने की इजाजत मिलेगी?
प्रयागराज के माफिया अतीक अहमद को गुरुवार को यूपी पुलिस ने बड़ी चोट दी। उसके लाडले बेटे असद को एसटीएफ ने झांसी में मार गिराया है। एक तरफ उमेश हत्याकांड में अतीक और अरशद की प्रयागराज कोर्ट में पेशी हो रही थी तो दूसरी तरफ असद को झांसी में ढेर कर दिया गया। असद के साथ शूटर गुलाम को भी पुलिस ने मार गिराया है। अब बड़ा सवाल यह है कि असद का शव कौन लेगा। अतीक का आधा परिवार या तो जेल में है या फरार है।
कहा जा रहा है कि किसी रिश्तेदार को असद का शव लेने के लिए तैयार कराया जा रहा है। अगर अतीक, अशरफ या भाई अली को जनाजे में जाने की इजाजत नहीं मिली तो असद के शव को किसी रिश्तेदार के हवाले करने के बाद अतीक के चकिया आफिस के सामने वाले कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक किया जा सकेगा।
फिलहाल पुलिस का कोई अधिकारी इस बारे में कुछ बोलने को तैयार नहीं है। इस बीच कहा जा रहा है कि अतीक जनाजे में जाने की इजाजत के लिए कोर्ट से गुहार लगाने की तैयारी कर रहा है। पुलिस रिमांड पर होने के कारण अगर अतीक को इजाजत नहीं मिलती तो नैनी जेल में बंद दूसरे बेटे अली को जनाजे की नमाज में शामिल होने और अंतिम संस्कार की इजाजत ली जा सकती है।
अतीक परिवार की बात करें तो वह खुद गुरुवार को उमेश हत्याकांड में पुलिस की रिमांड पर दे दिया गया है। उसके साथ भाई अशरफ भी रिमांड पर दिया गया है। अतीक का एक बेटा नैनी जेल में बंद है। दो नाबालिग बेटे उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही गायब हैं। पुलिस का दावा है कि दोनों बाल संरक्षण गृह में हैं। हालांकि अतीक के परिवार या वकीलों में से किसी ने दोनों से अभी तक मुलाकात नहीं की है। अतीक और अशरफ की पत्नियां भी फरार हैं।
अतीक की बहन के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज होने के कारण वह भी अब सामने नहीं आ रही है। पहले अतीक अशरफ की बहनें उनके काफिले के पीछे-पीछे नजर आती थीं लेकिन उनके खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज हुई तो दोनों अंडरग्राउंड हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि अदालत से अनुमति लेकर अतीक, अशरफ और अली सभी जनाजे में शामिल होने की कोशिश करेंगे।
एक अनुमान यह भी है कि परिवार के किसी सदस्य के नहीं आने पर पुलिस खुद किसी रिश्तेदार को आगे करके सुपुर्दे खाक करने की प्रक्रिया पूरी करा सकती है। इससे पहले झांसी में पुलिस खुद शव को अपने कब्जे में लेगी और उसे प्रायगराज लेकर आएगी।
नाना और मामा लेंगे असद का शव?
एक खबर यह भी आ रही है कि असद का शव उसके नाना शव लेने झांसी जाएंगे। असद के नाना और मामा के साथ वकील शव लेने जाएंगे। असद के नाना और मामा प्रयागराज में ही रहते हैं। फिलहाल असद के शव का पोस्टमार्टम चल रहा है। डॉक्टरों का पैनल शव का पोस्टमार्टम कर रहा है। पोस्टमार्टम के बाद शव को नाना मामा के सुपुर्द कर दिया जा सकता है।