आइए जानते हैं शिवरात्रि व्रत को रखने की विधि समय और शिवरात्रि में क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए शिवरात्रि का क्या महत्व है शिवरात्रि कब और क्यों रखना चाहिए उसके क्या-क्या फल होते हैं और शिवरात्रि का व्रत रखने से क्या फायदे मिलते हैं।
शिवरात्रि के दिन मिट्टी के पात्र या तांबे के लोटे में जल, मिश्री, कच्चा दूध डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, आंकड़े के फूल, चावल आदि अर्पित करना चाहिए. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की चार पहर की पूजा का विधान है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन शिवजी को चारों पहर पूजने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
महाशिवरात्रि 2022 पूजा शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि की रात्रि प्रहर की पूजा का मुहूर्त शाम को06:21 बजे से शुरु हो जा रहा है, जो अलगे दिन प्रात: 06:45 बजे तक है
महाशिवरात्रि पहले पहर की पूजा | 1 मार्च 2022 को शाम 6:21 से 9:27 तक |
महाशिवरात्रि दूसरे पहर की पूजा | 1 मार्च को रात्रि 9:27 से 12:33 तक |
महाशिवरात्रि तीसरे पहर की पूजा | 2 मार्च को रात्रि 12:33 से सुबह 3:39 तक |
महाशिवरात्रि चौथे पहर की पूजा | 2 मार्च 2022 को सुबह 3:39 से 6:45 तक |
महामृत्युंजय मंत्र
महाशिवरात्रि के पर्व पर ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करने से आत्म बल और विश्वास में वृद्धि होती है। इस मंत्र का जाप करने से भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। यह मंत्र आपको आत्मविश्वास से भर देता है।
शिव गायत्री मंत्र
हिंदू धर्म के अनुसार शिव की पूजा का महत्व
हिंदू धार्मिक ग्रंथों एवं मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक हिंदू अपने आराध्य को प्रसन्न करने हेतु व्रत धारण करते हैं। कठिन व्रत का पालन करते हैं। मान्यताएं अपने विश्वास से जुड़ती है और विश्वास सीधा परम पिता परमेश्वर से संपर्क करता है। जब भी हम अपने आस्था को प्रकट करने हेतु अपने प्रभु में विश्वास दिखाते हैं। तो हमें एक ऊर्जा मिलती है और उसी ऊर्जा से हमें जीवन यापन करने में सुविधा रहती है। शिवरात्रि के दिन शिव भक्त अपने आराध्य भगवान शंकर की पूजा अर्चना करते हैं। पंचामृत से अभिषेक करते हैं।फुल, पुष्प, बेलपत्र आदि चढ़ाकर भगवान शिव की प्रतिमा शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाते हैं। सम्पूर्ण विधि विधान के साथ पूजा अर्चना संपन्न करने पर शिवभक्त शिवरात्रि व्रत का संकल्प लेते हैं। ऐसा करने से शिव भक्तों को एक ऊर्जा शक्ति का एहसास होता है। अपने पूज्य भगवान शिव महादेव के प्रति भक्ति का परिचय देते हैं।
विवाह संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए अति कारगर है शिवरात्रि का व्रत
पुरानी चली आ रही मान्यताओं के अनुसार जो लड़का या लड़की अभी तक शादीशुदा नहीं है। वह भगवान महादेव शिव का व्रत धारण करते हैं। तो उन्हें विवाह संबंधी हो रही परेशानियां दूर होती है। क्योंकि मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के समय भगवान शिव और माता पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था।
महाशिवरात्रि का व्रत रखने के नियम | Mahashivratri Vrat ke niyam
जो भी शिव भक्त अपने आराध्य भगवान शंकर की पूजा आराधना करते हैं। उन्हें चाहिए कि वे महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु कठोर व्रत धारण करें। व्रत के नियमों का विधि विधान के साथ पालन करें। विधि विधान के साथ ही व्रत का समापन अथार्त पारण करें। महाशिवरात्रि के दिन जो भी स्त्री, पुरुष, कन्या, बालक महाशिवरात्रि का व्रत धारण करते हैं। उन्हें मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि व्रत धारण करने के कुछ नियम है।
सर्वप्रथम प्रातः जल्दी उठकर भगवान महादेव शिव का ध्यान करें ।
शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की प्रतिमा को प्रतिष्ठित करें।
भगवान शिव की प्रतिमा अर्थात शिवलिंग पर पंचामृत अभिषेक करें।
शिवलिंग को स्वच्छ जल से स्नान करवाकर चंदन कुमकुम आदि का तिलक लगाएं।
पूजा आराधना, भगवान शिव कथा, शिव पुराण, शिव भजन, शिव चालीसा, भगवान शंकर के दिव्य मंत्र, तथा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
संपूर्ण पूजा आराधना संपन्न होने के पश्चात भगवान शिवलिंग के समक्ष व्रत धारण करने का संकल्प लें।
व्रत धारण करने वालों को मुख्य तौर पर सात्विक व्रत का पालन करना चाहिए।
यदि व्रत के दौरान फल फ्रूट खाना चाहते हैं। तो फलाहार जरूर कर सकते हैं।फलाहार में नेचुरल मीठे फलों का आनंद ले सकते हैं।फलाहार को किसी प्रकार से पकाने एवं अन्य प्रक्रियाओं से बचने की कोशिश करें।खट्टे फलों का प्रयोग ना करें।फ्रूट जूस का उपयोग कर सकते हैं।व्रत के दौरान स्वच्छ जल का प्रयोग करें।
महाशिवरात्रि व्रत को पारण करने के लिए शुभ मुहूर्त 1 मार्च 2022 बुधवार सुबह 6:45 से शुरू होगा। इसलिए जो भी जातक शिवरात्रि व्रत धारण कर रहे हैं। उन्हें अगले दिन सुबह 6:45 पर व्रत पालन करना चाहिए।