भारत की पहली यात्रा पर राजा सिहामोनी का स्वागत करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी यात्रा कंबोडिया द्वारा भारत के साथ अपने संबंधों को दिए जाने वाले महत्व को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि भारत और कंबोडिया के बीच समृद्ध और जीवंत संबंध हैं। हम अपने साझा इतिहास को महत्व देते हैं और कंबोडिया को अपनी सभ्यतागत बहन देश मानते हैं।राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और कंबोडिया के बीच व्यापार और निवेश में और वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत कंबोडिया के साथ अपने रक्षा संबंधों को और प्रगाढ़ करने का इच्छुक है। उन्होंने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए पर्यटन और लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के प्रयास करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत जी-20 की अध्यक्षता में वैश्विक दक्षिण के विकासशील देशों के हितों की अगुवाई कर रहा है। उन्होंने इस साल फरवरी में वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के उद्घाटन सत्र में प्रधान मंत्री हुन सेन की भागीदारी की सराहना की। उन्होंने पिछले साल आसियान की अध्यक्षता सफलतापूर्वक पूरी करने के लिए कंबोडिया को बधाई दी।इसके बाद, अपने राजभोज भाषण में, राष्ट्रपति ने कहा कि क्षमता निर्माण, मानव संसाधनों के विकास और सामाजिक-आर्थिक परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान करने के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की अपनी खोज में कंबोडिया का भागीदार होना भारत के लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि भारत वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन में विश्वास करता है, जिसका अर्थ है विश्व एक परिवार है। उन्होंने कहा कि भारत और कंबोडिया के बीच बहुआयामी संबंध और आज हमारे साथ राष्ट्रपति भवन में महामहिम की गरिमामयी उपस्थिति इस सदियों पुरानी अवधारणा की सुंदर अभिव्यक्ति हैं।