लखनऊ।बिजली कर्मचारी गुरुवार रात 10 बजे कामकाज बंद कर देंगे।कर्मचारी तीन माह पुराने समझौते पर अमल न होने से नाराज हैं। इस दौरान जरूरी सेवाएं ठप नहीं होंगी और बिजली आपूर्ति प्रभावित नही होगी।शासन भी हड़ताल से निपटने के लिए कमर कसकर तैयार है। बता दें कि बिजली कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और अतिरिक्त कर्मचारी भी जुटाए जा रहे हैं।
72 घंटे के कामकाज ठप करने के बाद विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति आगे की रणनीति तय करेगी। समिति ने दावा किया कि बुधवार को भी प्रदेश भर के एक लाख बिजली कर्मियों ने कार्य बहिष्कार किया।जिससे कई जगहों पर कार्य प्रभावित हुआ। ऑफिसर्स एसोसिएशन ने इससे इन्कार किया है। साथ ही हड़ताल के दौरान दो घंटे अतिरिक्त काम का आश्वासन दिया है।कॉरपोरेशन का कहना है कि सभी व्यवस्थाएं पहले की तरह सुचारू रूप से चल रही हैं।
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे और अन्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। कहा कि कर्मियों का उद्देश्य हड़ताल नहीं है,लेकिन समझौते का पालन नहीं होने से विवशता में कार्य बहिष्कार कर रहे हैं।
इसके पहले बिजली कर्मियों ने तीन दिसंबर को ऊर्जा मंत्री की मौजूदगी में हुए लिखित समझौते को लागू करने की मांग को लेकर मंगलवार से आंदोलन शुरू कर दिया है। विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति ने कल कार्य बहिष्कार किया और 16 मार्च की रात से 72 घंटे की हड़ताल का ऐलान किया।समिति ने मंगलवार को लखनऊ में मशाल जुलूस भी निकाला। हालांकि, उनके जुलूस को पुलिस ने पावर कार्पोरेशन के फील्ड हॉस्टल के बाहर नहीं जाने दिया।हड़ताल से निपटने के लिए सरकार ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। बिजली कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और कंट्रोल रूम सक्रिय कर दिए गए हैं।
ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने चेतावनी दी है कि व्यवधान उत्पन्न करने एवं आमजन को परेशानी पैदा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।उन्होंने पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आश्वस्त किया कि किसी भी कीमत पर कार्य प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। आपात स्थिति पड़ने पर 24 घंटे कार्य करने के लिए तैयार हैं।
इसी बीच ऊर्जा मंत्री ने बुधवार को देर रात बताया कि पावर कॉरपोरेशन ने सभी विद्युत वितरण निगमों, सहयोगी डिस्कॉम के कार्मिकों और सेवानिवृत्त कार्मिकों के साथ उनके आश्रितों को प्रदेश के शासकीय चिकित्सालयों एवं चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में कैशलेस उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए शीघ्र शासन स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा।
मुख्य सचिव डीएस मिश्रा ने मंगलवार शाम को पुलिस अफसरों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वीडियो कॉफ्रेंसिंग कर पूरे प्रदेश की स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रदेश में किसी भी प्रकार का माहौल न बिगड़े। संघर्ष समिति से पहले संवाद कर लिया जाए। वह कार्य में बाधा उत्पन्न करे तो सख्त कार्रवाई की जाए।उन्होंने कहा कि कई संगठन एवं संविदाकर्मी इस हड़ताल में भाग नहीं ले रहे हैं, उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा जाए।
डीजीपी डीएस चौहान ने कहा कि सभी बड़े शहरों में ट्रैफिक की अव्यवस्था न हो, किसी भी जनपद में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाए।पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज ने सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर कहा कि विभागीय क्षति या जोर जबरदस्ती करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि बार-बार आश्वासन के बाद भी बिजली कर्मियों की मांग पूरी नहीं की गई। इसी क्रम में मंगलवार शाम को लखनऊ सहित सभी जिलों में मशाल जुलूस निकाला गया।
जानें क्या है बिजली कर्मियों की मांग
- कार्यरत एवं सेवानिवृत्त बिजली कर्मियों के घरों पर मीटर नहीं लगाया जाए।
- विद्युत उत्पादन एवं पारेषण की निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाए।
- ओबरा एवं अनपरा में 800-800 मेगावाट क्षमता की दो-दो इकाइयों के निर्माण, परिचालन एवं अनुरक्षण का कार्य एनटीपीसी या किसी अन्य इकाई के बजाय उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम को दी जाए।
- बिजली कर्मियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए। तेलंगाना व राजस्थान की तरह संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।
कुछ मानी मांगे, कुछ पर पेंच फंसे
ऊर्जा मंत्री की मौजूदगी में हुए लिखित समझौते को लेकर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने गंभीरता नहीं दिखाई।हड़ताल करीब आते ही कैशलेस इलाज की सुविधा दे दी गई पर कर्मियों के घरों पर मीटर न लगाने की मांग, पुरानी पेंशन आदि पर फैसला नहीं हुआ है।