लोनी।क्राईम ब्रांच एंटी रोब्बरी एंड स्नेचिंग सेल शकरपुर की टीम ने क्राइम सीन से 40 किलोमीटर के दायरे में लगे 300 से भी ज्यादा सीसीटीवी फुटेज खंगालकर ब्लाइंड लूट के केस को सुलझाते हुए हाईवे लुटेरों के एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है जो ओला में टैक्सी चलाते थे और मौका मिलते ही टैक्सी पर फेक नंबर प्लेट लगाकर आनन्द विहार बस अडडे पर बाहर से आने वाले यात्रियों को टैक्सी में बैठाकर लूट की वारदात को अंजाम देते थे। लुटेरों की पहचान मेरठ निवासी 32 वर्षीय महबूब व गाजियाबाद निवासी 39 वर्षीय गुलजार उर्फ गुल्लू उर्फ मामा के रूप में हुई है। गैंग का सदस्य महबूब आदतन हाईवे लुटेरा है। महबूब डकैती के एक मामले में वर्ष 2019 से जेल में बंद था जून 2022 में जेल से बाहर आते ही गैंग बनाकर फिर से हाईवे पर डकैती करनी शुरू कर दी।
क्राईम ब्रांच डीसीपी रोहित मीणा ने बताया की दिनांक 14 जुलाई 2022 को उत्तराखण्ड निवासी 24 वर्षीय रोहित सिंह ने थाना पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र में शिकायत दर्ज कराई की वो चार बजकर तीस मिनट के आसपास अपने गांव बागेश्वर उत्तराखंड से आनंद विहार बस अड्डे पर पहुंचा था। और गुरूग्राम जाने के लिए ईडीएम माल के फुटओवर ब्रिज के पास खड़े होकर टैक्सी का इंतजार करने लगा। तभी डीएल वन जेड से नंबर शुरू होने वाली एक स्विफ्ट डिजायर आकर रूकी और ड्राइवर ने गुरूगांव की आवाज लगाई तो मैं भी गाड़ी की पीछे वाली सीट पर बैठ गया। जिसमें पहले से ही चार सवारियां बैठी हुई थी। थोड़ी दूर चलने के बाद पीछे बैठी दो सवारियों ने अपने बिच मे बैठा लिया और पीछे बैठी दोनो सवारियों व ड्राइवर के बगल में बैठी सवारी ने मेरे साथ हाथापाई शुरू कर दी। मारपीट करके 8000 रुपये नकद और अन्य सामान लूट लिया। इसके बाद मेरे फोन से मेरे जीजा को फोन करके 15000 रूपये मेरे खाते में मंगवाए। गाड़ी चलाते हुए ग्रेटर नोएडा की तरफ ले गये मेरा एटीएम कार्ड और पिन नंबर लेकर रास्ते में एटीएम से मेरे खाते से 8500 रूपये और निकाल लिए। उसके बाद सुबह सात बजे के आसपास मेरा फोन मुझे लौटाकर चार मुर्ति ग्रेटर नोएडा में टैक्सी से नीचे फेंक दिया और फरार हो गए। जिसकी मेरे जीजा खुशहाल ने 112 पर काॅल करके पुलिस को जानकारी दी।
पीड़ित की शिकायत पर थाना पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र में एफआईआर संख्या 476/22 धारा 392/34 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई।
सवारी बनकर टैक्सी में बैठाकर हाईवे पर हुई लूट की वारदात ने दिल्ली पुलिस की नींद उड़ा दी थी। बेहद गंभीर मामला होने के चलते रोहित मीणा, डीसीपी क्राईम ने बदमाशों को दबोचने के लिए अरविन्द कुमार एसीपी क्राईम ब्रांच एंटी रोब्बरी एंड स्नेचिंग सेल शकरपुर की सुपरविजन व इंस्पेक्टर अरुण सिंधु एवं इंस्पेक्टर कुलदीप कुमार शर्मा के नेतृत्व में एसआई रविंदर कंडपाल, विक्रांत चैधरी, रविंदर भाटी, श्याम सिंह, एएसआई शशिकांत यादव, प्रमोद, हेड कांस्टेबल कुलदीप, अरविन्द, गौरव त्यागी, कपिल राज, नरेंदर, मनोज, अनुज, जितेंदर और देवेंदर की एक टीम का गठन किया।
इंस्पेक्टर अरुण सिंधु व कुलदीप कुमार शर्मा की टीम के सामने सबसे पहले सबसे बड़ी चुनौती अपराधियों की पहचान करना था। पीड़ित टैक्सी का पूरा नंबर नोट नहीं कर पाया था। पीड़ित को बस इतना पता था की टैक्सी का नंबर डीएल वन जेड से शुरू होता है और गाड़ी स्विफ्ट डिजायर थी।
इंस्पेक्टर अरुण सिंधु व कुलदीप कुमार शर्मा ने क्राईम सीन के आस पास के सीसीटीवी फुटेज इस उम्मीद से खंगाले की शायद किसी फुटेज में गाड़ी का पूरा नंबर मिल जाये लेकिन अंधेरा होने की वजह से कुछ भी क्लीयर नहीं मिला।
टीम ने आनन्द विहार बस अडडे के आसपास सवारी ढोने वाली डीएल वन जेड नंबर से शुरू होने वाली स्विफ्ट डिजायर गाड़ियों पर नजर रखनी शुरू कर दी।
साथ ही पीड़ित को पुलिस रिकार्ड में मौजूद सेम मोडस ऑपरेंडी से वारदातों को अंजाम देने वाले सस्पेक्ट अपराधियों के फोटो दिखाए लेकिन कोई फायदा नहीं मिला।
टीम ने ग्रेटर नोएडा के उस एटीएम के सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला जहां से बदमाशों ने पीड़ित के डेबिड कार्ड से पैसे निकाले थे किन्तु अपराधी इतने शातिर थे की डेबिड कार्ड से पैसे निकालते समय अपने पुरे चेहरे को ढककर एटीएम मशीन में घुसे थे। पूरा चेहरा ढका होने की वजह से आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी।
इंस्पेक्टर अरुण सिंधु ने पीड़ित के ब्यान पर अपराधियों द्वारा टैक्सी में बैठाकर ले जाने वाले रूट को तैयार किया। और क्राईम सीन से लगभग 40 किलोमीटर के दायरे में उस रूट पर पड़ने वाले सभी कॉर्नर्स, मल्टीप्ल टर्न्स, मकानों, दुकानों, बस स्टॉप और रेड लाइट पर लगे 200 से भी अधिक सीसीटीवी फुटेजों को खंगाला।
कैमरे खंगालते खंगालते टीम की आंखे सूज गई। फिर भी टीम लगी रही की अपराधियों को हर हाल में दबोचना है।
अपराधियों के भागने वाले रूट के सीसीटीवी फुटेज खंगालने पर टीम को सस्पेक्ट स्विफ्ट डिजायर गाड़ी का पूरा नंबर मिल गया। सस्पेक्ट गाड़ी का पूरा नंबर डीएल वन जेड बी 1535 था।
सस्पेक्ट गाड़ी का पूरा नंबर मिलते ही इंस्पेक्टर अरुण सिंधु की टीम को लगा की अब तो मामला क्रेक हो ही गया। टीम ने तुरन्त गाड़ी नंबर से मालिक का पता निकालकर छापेमारी की तो मौके पर डीएल वन जेड बी 1535 नंबर की स्विफ्ट डिजायर गाड़ी खड़ी मिल गई।
लेकिन मामला सुलझने की वजाए और उलझ गया। जांच मे पता चला की सस्पेक्ट नंबर वाली गाड़ी तो कई दिनों से यहीं खड़ी है और वारदात वाले दिन भी यहीं खड़ी थी।
टीम उलझन में फस गई की सेम नंबर की गाड़ी एक समय में दो जगह कैसे हो सकती है।
इंस्पेक्टर अरुण सिंधु ने अंदाजा लगाया की या तो यह मालिक झूठ बोल रहा है या फिर इस नंबर की फेक नंबर प्लेट लगाकर अपराधी वारदात को अंजाम दे रहे है।
लेकिन इंस्पेक्टर अरुण सिंधु के दिमाग में एक सवाल बार बार गूंज रहा था की अपराधियों ने इसी नंबर की ही फेक नंबर प्लेट क्यों बनाई। अपराधी किसी और गाड़ी का नंबर भी इस्तेमाल कर सकते थे। इंस्पेक्टर अरुण सिंधु को पूरा शक था कि इस गाड़ी नंबर से अपराधियों का कोई न कोई कनेक्शन जरूर निकलेगा।
गाड़ी मालिक नेे पूछताछ में टीम को बताया की उसकी गाड़ी डीएल वन जेड बी 1535 नंबर स्विफ्ट डिजायर को पहले एक ड्राइवर चलाता था किन्तु उस ड्राइवर ने अपनी गाड़ी खरीद ली तब से मेरी गाड़ी घर पर ही खड़ी है।
इंस्पेक्टर कुलदीप कुमार शर्मा ने ड्राइवर की कुंडली खंगाली तो बड़ी चैकाने वाली बात सामने आई।
ड्राइवर की फोटो पीड़ित को दिखाई तो पता चला की वारदात को अंजाम देने में यह ड्राइवर भी शामिल था।
इंस्पेक्टर अरुण सिंधु का शक सही निकला। अपराधी की पहचान होने के बाद टीम के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती पूरे गैंग को दबोचने की थी क्योंकि किन्तु टीम के पास न तो बदमाशों का कोई मोबाईल नंबर था न ही यह पता था की आरोपी रह कहां रह हैं। लेकिन गाड़ी मालिक इस बात के लिए जरूर श्योर था की सस्पेक्ट ड्राईवर नाम मेहराज है और गाजियाबाद इलाके में ही कहीं रहता है।
गाजियाबाद जैसे घनी आबादी भरे इलाके से एक फोटो दिखाकर आरोपी को खोजना अपने आप में बहुत बड़ा चैलेंज था लेकिन क्राईम ब्रांच एंटी रोब्बरी एंड स्नेचिंग सेल शकरपुर की टीम पीछे नहीं हटी और गाजियाबाद इलाके में मुखबिरों को एक्टीव कर दिया।
लेकिन मुखबिरों को एक्टीव करने के बाद भी टीम के हाथ कुछ न लगा। अब गैंग को दबोचने के लिए अरविन्द कुमार एसीपी क्राईम ब्रांच एंटी रोब्बरी एंड स्नेचिंग सेल शकरपुर ने दूसरा रास्ता अपनाया।
एसीपी अरविन्द कुमार ने अब टीम को खबरियों पर निर्भर रहने के लिए मना कर दिया।
बदमाशों को दबोचने के लिए एसीपी अरविन्द कुमार के सुझाव पर इंस्पेक्टर अरुण सिंधु ने गाजियाबाद इलाके में हर घर, दुकान, आफिस, पार्किंग, टैक्सी स्टेंड व धार्मिक स्थलों पर आरोपी की फोटो दिखाकर खोजने की रणनीति बनाई।
इंस्पेक्टर अरुण सिंधु यह अच्छी तरह जानते थे कि किसी भी डिस्ट्रिक की पुलिस के डिवीजन और सब डिवीजन होते हैं। जिन्हे आगे बीट में बाटा जाता है। एक कांस्टेबल को एक बीट मिलती है। और कांस्टेबल की जिम्मेवारी होती है की वो अपने इलाके के हर एक इंसान की पूरी जानकारी रखे।
इंस्पेक्टर अरुण सिंधु ने गाजियाबाद इलाके के चप्पे चप्पे को छानने के लिए बीट कांस्टेबलो की मदद ली। टीम ने मात्र नाम और फोटो दिखाकर इलाके में आरोपी को खोजने का बड़े स्तर पर सर्च अभियान चलाया।
टीम की मेहनत रंग लाई और तलाशी के दौरान संदिग्ध को मधुबन बापूधाम, गाजियाबाद में किराए के एक घर से दबोच लिया। संदिग्ध की पहचान मेरठ निवासी 32 वर्षीय मेहराज पुत्र महबूब के रूप में हुई।
कड़ी पूछताछ में आरोपी ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर हाइवे पर लूटपाट करने की बात कबूल कर ली। आरोपी की निशानदेही पर दिनांक 16 जुलाई 2022 को मेरठ से महबूब और सोहेल व गाजियाबाद से गुलजार उर्फ गुल्लू उर्फ मामा को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में आरोपी मेहराज ने खुलासा किया कि वह ओला में किराए की टैक्सी चलाता है। शार्टकट रास्ते से जल्दी और मोटा पैसा कमाने के लालच में वो अपने साथियों के साथ तड़के यात्रियों को लूटता था। उसके पास यूपी 14 जे टी 5289 नंबर की अपनी स्विफ्ट डिजायर गाड़ी है जोकी ओला में लगा रखी है। लेकिन पहले वो डीएल वन जेड बी 1535 नंबर की गाड़ी चलाता था। कुछ समय बाद उसने अपनी खुद की गाड़ी ले ली और पहले वाली गाड़ी मालिक को वापस कर दी लेकिन उस गाड़ी के नंबर की फेक नंबर प्लेट बनवाकर अपने पास रख ली और वारदात को अंजाम देते समय उसी फेक नंबर प्लेट का इस्तेमाल करते थे।
पकड़े गए दोनों आरोपियों ने अपने दो और सहयोगियों के साथ मिलकर पिछले एक महीने में सेम मोडस ऑपरेंडी से सोहराब गेट बस डिपो मेरठ, साहिबाबाद, और आनंद विहार बस टर्मिनल, के पास तीन वारदातों को अंजाम देने की बात कबूल की।
32 वर्षीय आरोपी मेहराज पुत्र महबूब माता वाली गली फतेउल्लाहपुर थाना लिसादी गेट मेरठ यूपी का रहने वाला है और वर्तमान में मधुबन बापूधाम, गाजियाबाद, यूपी में अपने परिवार के साथ रह रहा है। यह पेशे से टैक्सी ड्राइवर है। और पंजीकृत ओला चालक है। यह एक आदतन हाईवे लुटेरा है। यह सेम मोडस ऑपरेंडी से आईजीआई हवाई अड्डे पर कनाडाई पायलट के साथ लूट के एक मामले में वर्ष 2019 से तिहाड़ जेल में बंद था।
जून 2022 में जेल से रिहा हुआ। जेल से छूटने के बाद इसने फिर से अपने साथियों के साथ मिलकर हाईवे डकैती करना शुरू कर दिया। इसकी लंबी क्राइम हिस्ट्री है।
दूसरा आरोपी पैसे से प्लंबर गाजियाबाद निवासी 39 वर्षीय गुलजार उर्फ गुल्लू उर्फ मामा पुत्र अब्बास पहले भी डकैती के एक मामले में हरियाणा जेल में बंद रह चुका है। यह मेहराज का दोस्त है और मौजूदा केस को अंजाम देने के लिए उससे जुड़ा है।