मथुरा: मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में शानिवार को संस्था के सदस्यों द्वारा सड़को और फुटपाथों पर रह रहे जरूरतमंद लोगों तक गर्म कपड़े वितरित किए गए। ब्रजनगरी में शीत लहर का प्रकोप जारी, सर्दी में जहाँ सम्पन परिवार के लोगो की हालत खराब है। तो ऐसे में सड़कों पर और झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले गरीबो की और उनके बच्चो की हालत क्या होती होगी। इसी दर्द को समझते हुए, समाजिक संस्था गीतांजली फाउंडेशन द्वारा ठंड से परेशान हो रहे हजारो ऐसे परिवारों तक मदद पहुंचाने के उद्देश्य से संस्था द्वारा ठंड से राहत नाम से एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिसके माध्यम से टीम के वॉलिंटियर्स द्वारा करीब 51 दिनों तक यह अभियान मथुरा एवं मथुरा के बाहर अलग अलग क्षेत्रों में रखा गया है। जिसका सर्वे टीम के सदस्यों द्वारा किया गया। फिर सर्वे के आधार पर ऐसे परिवारों की जानकारी निकालकर उन्हें सामान वितरित किया जा रहा है। जिसकी शुरुआत 1 दिसम्बर से की गई थी। लगातार 51 दिनों तक चलाए जाने वाले इस अभियान से जरूरतमंद परिवारों तक ठंड से बचाव के लिए निःशुल्क कपड़े, राशन, खिलौने एवम जरूरत का सामान पहुँचाकर उनकी मदद की जा रही है। जिससे इस कडकडाती ठंड से इन्हें राहत मिल सकेगी। टीम द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से लोगो को जागरूक कर गर्म कपड़े एवं अन्य जरूरत का सामान एकत्रित किया जा रहा है। फिर उसे फिल्टर कर उपयोग लायक बनाकर जरूरतमंद परिवारों तक पहुँचाया जा रहा है। टीम द्वारा दिन रात एक कर इस अभियान को सफलतापूर्वक संपन्न किया जा रहा है। टीम के सदस्यों का कहना है। कि इसकी सफलता का श्रेय सभी मथुरावासियों, वॉलिंटियर्स एवं हर उस व्यक्ति को जाता है। जो प्रत्यक्ष एवम अप्रत्यक्ष रूप से गीतांजली फाउंडेशन से जुड़ा हुआ है। संस्था गीतांजली फाउंडेशन उत्तर प्रदेश के कई शहरों में बेघर, बेसहारा असहय गरीब जरूरतमंदों के लिए कार्य कर रही है। अगर किसी की भावना मदद करने की नही हे तो वह कितने भी अवसर मिलने पर मदद नही करेगा, परन्तु यदि कोई सेवा भाव की सोच रखता है मदद करना चाहता है तो वह कितनी भी कठिनाइयां होने के बावजूद भी मदद करने का तरीका निकाल ही लेता है। इसी बात को अमल में आए हैं गीतांजली फाउंडेशन के संस्थापक शुभम बंसल ने बताया
यू तो संस्था द्वारा रोज ही गरीब जरूरतमंदों की मदद करी जाती है, परंतु अभी संस्था के फाउंडर शुभम बंसल ने मिशन ठंड से राहत 51 डेज हार्ड वर्क चैलेंज लिया है जिसके तहत लगातार 51 दिनों तक गरीब जरूरतमंदों तक मदद पहुँचाई जाएगी। मिशन ठंड से राहत 51 डेज हार्ड वर्क चैलेंज को पूरा करने के लिए संस्था द्वारा एक टीम बनाई गई। जो सुबह 8 बजे से ही जरूरतमंदों की मदद के लिए निकल जाती है, जिसमे जो भी जरूरतमंद मिलता है उसकी पूरी तरह से मदद की जाती है। अगर किसी व्यक्ति के पास रहने के लिए घर नही है तो उन्हें भी संस्था की तरफ से आश्रमों में भेज दिया जाता है। जहाँ वह व्यक्ति अपना जीवन शांति से बिता सकते है। आश्रम में बेसहारा लोगों के लिए मुफ्त में रखने की व्यवस्था है, आश्रम में जरूरतमंदों को खाना, कपड़े तथा डॉक्टर जैसी व्यवस्था भी मौजूद है। जहाँ उन्हें किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा गीतांजली फाउंडेशन द्वारा लिया गया यह चैलेंज समाज के लिए बहुत ही प्रेरणादायी हे समाज में रह रहे युवाओं को संस्था से सीखना चाहिए तथा इस प्रकार की समाजिक गतिविधियों में अपनी रुचि बढ़ानी चाहिए।
गीतांजली फाउंडेशन क्या है कैसे हुए इसकी शुरुआत ?
संस्था गीतांजली फाउंडेशन एक ऑनलाइन निशुल्क प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्य करती है जिसकी मदद से घरों में उपयोग में न आ रहे सामान जैसे कपड़े, खिलौने, किताबे, जूते, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, फनीर्चर एवं अन्य सामान को कलेक्ट कर उपयोगी लायक बना जरूरतमंद परिवारों तक पहुँचाया जाता है। पिछले 5 वर्षों में संस्था के माध्यम से लगभग 4 लाख से ज्यादा जरूरतमंद परिवारों तक मदद पहुँचाई जा चुकी है। उत्तर प्रदेश में कई शहरों में कार्य कर रही संस्था गीतांजली फाउंडेशन से 700 से ज्यादा वॉलिंटियर्स जुड़े हुए है। जो अपना समय देकर सहयोग करते है संस्था द्वारा अगल अगल शहरों में सेंटर बनाएं गए है जहाँ आकर कई भी जरूरतमंदों के लिए सामान डोनेट कर सकता है टीम द्वारा इस सामान को फिल्टर कर उपयोगी लायक बना जरूरतमंद परिवारों तक पहुँचाया जाता है। संस्था देने वाले और लेने वालों के बिच सेतु बनकर दोनो की ही मदद कर रहा है। दीपावली पर एक ही दिन 25 हजार परिवारों की मदद कर संस्था का नाम हाल ही में किंग्स बुक ऑफ रिकॉड में दर्ज हुआ है। संस्था गरीब एवं जरूरतमंदों की मदद के साथ साथ निशुल्क शिक्षा के माध्यम से बच्चों एवम महिलाओं को शिक्षित कर रही है संस्था द्वारा निःशुल्क पाठशाला शहर के कोई हिस्सों में चलाई जा रही है जहाँ लगभग 300 से अधिक बच्चो को निशुल्क शिक्षा अभियान के माध्यम से शिक्षित किया जा रहा है। जिससे आर्थिक परिस्थितियों के चलते जो बच्चे पढ़ नही पाते है। वह संस्था द्वारा चलाई जा रही निशुल्क पाठशालाओं के माध्यम से अपने अधुरे सपनो को पूरा कर रहे है।